DHANKA JANJATI SAMAJ SAMITI DELHI
DHANKA JANJATI SAMAJ SAMITI DELHI
धानका जनजाति समाज समिति दिल्ली
धानका जनजाति समाज समिति दिल्ली का गठन जुलाई 2006 को आनन्द पर्वत में एक आम सभा के द्वारा किया गया! समिति का पंजिकरण दिल्ली सोसायटी एक्ट के अन्तर्गत 31 अगस्त 2006 को कराया गया ! समिति धानका समाज के समुचित विकास को समर्पित हैं. समिति की एक कार्यकारिणी ओर कई जिला कार्यकारिणीया है.
धानका जनजाति समाज समिति (दिल्ली पंजि में श्री बुला राम जी धानका को अध्यक्ष, श्री मोहन लाल जी किराड को समिति का चैयरमेन व श्री राधे श्याम जी मावर को महामंत्री घोषित किया गया. वर्ष 2009 में श्री राज कुमार जी मोरवाल के निवास स्थान पूसा रोड में चुनाव कराया गया जिसमें श्री बुला राम जी धानका अध्यक्ष, श्री मोहन लाल जी किराडं चैयरमेन, श्री राधे श्याम जी मावर को महामंत्री व बाबू लाल जी मावर को कोषाध्यक्ष सर्वसमिति व निरविरोध चुना गया. 11 अक्टूबर 2015 को नौवा धानका दिवस / वार्षिक पुरस्कार वितरण समारोह निगम समुदाय भवन ज्वाला हेडी नई दिल्ली समारोह में श्री राज कुमार जी मोरवाल को समिति का अध्यक्ष ओर श्री बुला राम जी धानका को समिति का संरक्षक सभी की सर्वसमिति से नियुक्त किया गया व नई कार्यकारिणी का गठन किया गया
26 जनवरी 1950 को भारत का सविधान श्री भीमराव अम्बेडकर द्वारा भारत में लागू किया गया! ओर 1950 में ही अनुसूचित जाति एवम अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिलाया इसके मुख्य सदस्य श्री जवाहरलाल नेहरू, डा. भीमराव अम्बेडकर, डा. राजेन्द्र प्रसाद, श्री बल्लभ भाई पटेल, मोलाना अब्दुल कलाम आजाद थे! लेकिन डा. भीमराव अम्बेडकर जी ने इसमें प्रमुख भूमिका निभाई वह सविधान के रचयिता भी है इसलिए उन्हें सविधान का निर्माता कहा जाता है! हम सभी डा. भीम राव अम्बेडकर जी को नमन करते हैं !
सविधान को बनाते समय डा. भीम राव अम्बेडकर जी ने आरक्षण में आने वाली सभी जातियों को शामिल करके 06 सितम्बर 1950 के आदेश में धानका जाति को बोम्बे राज्य की अनुसूची में अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिला था! 1950 में ही राज्यों का पुर्नगठन होने लगा था ओर 1956 में राज्य पुर्नगठन अधिनियम बना जिसमें बोम्बे दो भागों में बट गया एक महाराष्ट्र बन गया ओर दूसरा बोम्बे का बनासकांठा गुजरात में चला गया व माउंट आबू राजस्थान के सिरोही जिले में आ गया , जिससे माउंट आबू के धानका को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिलने लगा! इसके पश्चात जब राज्यों का पुर्नगठन हो गया तब 1950 के आदेश को संशोधन करके भारत सरकार द्वारा 1956 के आदेश में राजस्थान के अलावा मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र में धानका जाति को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया गया !
आज हम आपको धानका समाज के ऐसे महान आदमी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होने धानका ओ को अनुसूचित जनजाति में शामिल कराने के लिए काफी सघर्ष किया ओर अपना पुरा जीवन समाज सेवा में लगा दिया उन्ह महापुरुष का नाम स्व. श्री डाल चन्द जी आर्या है !
स्व. श्री डाल चन्द जी आर्या अलवर के चमेली बाग, अखेपुरा में रहते थे वह बावलिया गोत्र के थे! यह बचपन से ही RSS में शामिल हो गयें थे ओर जातिवाद होने की वजह से अपने नाम के साथ आर्या लगा लिया था! इनका जन्म 1921 में हुआ था! इन्होंने शादी नहीं की थी, यह बांस की खेती करते थे! इन्होंने एक संस्था बना रखी थी ओर आस पास के लोग अपना सामान इस संस्था को देते थे व सरकारी विभाग इनसे बांस व बांस का सामान खरीदते थे !
इसी दोराण भीखा जी भाई भील जो राजस्थान सरकार में Law and Justice व वाणिज्यि मंत्री थे वह भी अनुसूचित जनजाति में आते है ओर स्व. श्री डाल चन्द जी आर्या के परिचित भी थे. उन्होंने स्व. श्री डाल चन्द जी आर्या से कहा कि आपका धानका समाज पूरे राजस्थान में रहता है! लेकिन आरक्षण केवल माउंट आबू में ही मिल रहा है ! इसके लिए आप सरकार को प्रस्ताव क्यों नहीं लिखते ताकि आपके धानका समाज को पुरे राजस्थान में अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिल सके !
30 अप्रैल 1962 को अलवर मे श्री भीखा जी भाई भील व आदिवासी गणमान्य व्यक्तियो के तत्वावधान में एक सम्मेलन का आयोजन किया जिसमें धानका जाति को पूरे राजस्थान में अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का फैसला लिया गया! ओर 1962 में श्री डाल चन्द जी आर्या ने राजस्थान सरकार को एक प्रस्ताव लिखा कि धानका जाति पुरे राजस्थान में रहती है लेकिन माउंट आबू के धानका ओ को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिला हुआ है! इसलिए धानका समाज के लोगों को सम्पूर्ण राजस्थान में अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिलना चाहिए !
1962 – 63 में राजस्थान सरकार द्वारा लोकुर कमेटी का गठन किया गया, लोकुर कमेटी के कहने पर राजस्थान सरकार ने एक Rejected List निकाली गई ( ऐसी जातियाँ जो अपने मापदंड पर खरी नहीं उतर रही थी) जिसमें धानका जाति को यह कहकर मना कर दिया गया कि धानका जाति वर्तमान में आबू रोड़ तालुका में ही शामिल हैं जहाँ वह राजस्थान के अन्य जिलों में नहीं पाये जाते! यह जाति आम जनता के बीच दूर दूर तक फैल गई है ओर इन्होंने अपना आदिवासी मोड खो दिया है, इस जाति का शहरीकरण हो गया है !
इसके पश्चात स्व श्री डाल चन्द जी आर्या लगातार सघर्ष करते रहे समाज के लोगों को जागरूक करने के लिए 1962 में अलवर मे सम्मेलन किया गया तथा 24 – 25 नवम्बर 1963 को गंगा नगर के सागरिया जिले किया गया जिसमें इस विषय में पास किये गए प्रस्ताव को राजस्थान सरकार के पास भेजा जा सके. साथ ही जयपुर व अलवर में कई बार मिटिंग व सभाऐ की व राजस्थान सरकार लोकुर कमैटी, एडवाइजरी से लगातार सम्पर्क बनाये रखे! ओर 25 मई 1965 को श्री डाल चन्द जी आर्या ने अलवर जिले के लोक सभा के सदस्य श्री काशी राम जी गुप्ता से सिफारिश करके उनके द्वारा एक बार फिर राजस्थान सरकार को प्रस्ताव भेजा !
24 जुलाई 1965 में ही जयपुर के सरकट हाउस (सचिवालय) में लोकर कमेटी के साथ एक सभा आयोजन की जिसमें बी एन लोकर, सचिव विधि मंत्रालय, भारत सरकार के अध्यक्ष, तथा ए. डी. पाईन, सचिव सचिव गृह मंत्रालय के एन सुन्दरम, निदेशक दलित कल्याण विभाग, सदस्य एच सी लिठ्ठा, सचिव राजस्थान सरकार, व आदिवासी धानका समाज संघ के प्रतिनिधि मंडल श्री मोहन लाल जी अध्यक्ष अलवर जिला, धानका आदिवासी संघ श्री सोजी राम, तथा स्व.श्री डाल चन्द जी आर्या राजस्थान प्रान्तीय धानका आदिवासी संघ. अपने प्रतिवेदन सहित मिले उसी प्रतिवेदन के प्रति एडवाइजरी कमेटी का निदेश कि तहसील वार, जिलावार, धानका जाति अपनी सख्या की सूचना एडवाइजरी कमेटी के अध्यक्ष की सेवा में, तथा अपने अध्यक्ष राजस्थान प्रान्तीय धानका आदिवासी संघ के कार्यालय में भिजवा देवे! ओर भविष्य में अपना नाम का शुध्द नाम धानका लिखवाये व सरकार से मिलने वाले संरक्षण सुविधाएं आपको निश्चित प्राप्त होगी. तथा हम अपने आदिवासी नेता गणो से व लोक सभा एव राज्य सभा के सदस्य है उनसे प्रर्थाना करते हैं कि धानका समाज के हित में अपना पूरा सहयोग प्रदान करने की कृपा करें.
ओर उनके प्रयास से 12 मई 1976 को राज्य सभा में बिल पास हो गया! जिसमें धानका जाति को पेरा 3, क्रम सख्या 5 पर रखा गया! Bill No. 59 /1976 dated 12 May 1976.
18 सितम्बर 1976 को Amendment Act (संशोधन अधिनियम) पास किया गया!
ओर 20 सितम्बर 1976 भाग 13 के क्रम सख्या 04 पर धानका जाति को पूरे राजस्थान मे अनुसूचित जनजाति में शामिल कर लिया गया!
श्री डाल चन्द जी आर्या का स्वगवास दिनांक 14 दिसम्बर 2006 को उनके निवास स्थान पर हो गया था, इनके निधन से पूरे राजस्थान में शोकाकुल छा गया था!
एसे महान व्यक्ति को जिन्होंने हमे आरक्षण का फायदा दिलाया ओर जिनकी वजह से आज हम उच्चे – उच्चे फदो पर नौकरियां कर रहे हैं! हमें ऐसे महापुरुष को अपना आर्दश बनाना चाहिए जिनकी वजह से नौकरी, शिक्षा, व हर क्षेत्र में आरक्षण का फायदा दिलाया! उन महापुरुष की तस्वीर हमारे घरों में होनी चाहिये! हम किसी भी प्रकार का सामाजिक कार्यक्रम करते हैं तो सबसे पहले स्व. श्री डाल चन्द जी आर्या का नाम लेना चाहिए यह हमारा कर्तव्य बनता है.
आपकी धानका जनजाति समाज समिति ने वर्ष 2018 , 12वाॉं धानका दिवस एवम प्रतिभा सम्मान समारोह में स्व. श्री डाल चन्द जी आर्या को मरण उपरांत आज ही के दिन धानका रत्न से सम्मानित किया गया था!
(Sangrakshak)
(Chairman)
(President)
(Ex President)
(Gen. Secretary)
(Add. Secretary)
(Cashier)
(Dy Cashier)
(Yojanakar)
(Sr. Vice President)